Mar 16, 2011

HEALTH



स्वस्थ रहने के नुकसान.....!
व्यंग्य
वे दिन लद गए, जब तन्दुरुस्ती हजार न्यामत थी। आज यदि आप स्वस्थ हैं तो किसी काम के नहीं हैं। सुबह जल्दी उठते हैं तो घर वालों को परेशानी होती
है, योग-व्यायाम करते हैं तो चार आदमी की ऑक्सीजन स्वयं खींच लेते हैं,  बदले में छोड़ देते हैं उतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड।
पानी की कमी के बावजूद आप दिन में 4-5 लीटर पानी मात्र पीने में जाया कर  देते हैं। घिस-घिसकर नहाने में जो खर्च करते हैं वह अलग, आपको 8 बजे
 नाश्ता लगता है, फिर 10 बजे भोजन, 3-4 बजे फिर कुछ चन्दी-चारा, रात 8 बजे  भोजन, 10 बजे बिस्तर...नुकसान ही नुकसान।

 इसके विपरीत यदि आप स्वास्थ्य बनाने के चक्कर में नहीं हैं, आप 8 बजे  सोकर उठते हैं तो मुँह धोने और अँगड़ाई लेने में ही 9 बज जाते हैं। चाय
 पीकर टीवी निहारते हैं तो 10 बज जाते हैं। फिर फटाफट स्नान (कागला स्नान) करके आधा-अधूरा खा-पीकर काम पर पहुँच जाते हैं। वहाँ चाय-पान में पूरा
 दिन निकल जाता है।  गैस इतनी बनती है कि शाम को कुछ खाने की इच्छा ही नहीं होती। रात को  10-11 बजे कुछ फास्ट फूड खाकर टीवी देखते हुए 1-2 बजे तक सोते हैं। विचार
करिए कि आप कितनी बचत करते हैं!

आज एक से बढ़कर एक चिकित्सालय खुल गए हैं, वहाँ जाकर देखिए, आपको लगेगा  कि आप फाइव स्टार नहीं, टेन स्टार में आ गए हैं। करोड़ों की मशीनें हैं,
एसी, डीसी और जितने भी सी हैं, सब आपकी सेवा में तत्पर हैं, अपने फन में  माहिर बॉलीवुड के हीरो जैसे डॉक्टर, स्वर्ग की अप्सरा जैसी नर्सें हैं।
 आखिर ये सब किसके लिए हैं? कृपया इन्हें एक बार सेवा का मौका तो दें, ये आपको इतना अभिभूत कर देंगे कि आप वहाँ से घर जाने की बजाय सीधे स्वर्ग
जाना ही उचित समझेंगे। स्वस्थ व्यक्ति न दवाई खाता है न दंगा करता है। ठीक समय पर काम करके  मुक्त रहता है। आखिर मेडिकल स्टोर किस खुशी में खुले हैं? आपको शायद
ज्ञात ही होगा कि सरकार को सर्वाधिक आय शराब से होती है, शराब न पीकर आप अपने स्वास्थ्य की रक्षा तो कर रहे हैं, परंतु सरकार और सरकार के कर्ता-धर्ता (नेताओं-अफसरों) के विषय में बिलकुल नहीं सोच रहे हैं। आप  सीधे-सीधे देशद्रोह कर रहे हैं।

 अतः आप अपनी कंचनकाया को कष्ट न दें, अस्वस्थ रहकर सरकार की आय में वृद्धि करें, अपराध करके सुरक्षाकर्मियों को काम दें, ताकि उनका परिवार भी पलता रहे। अंत में यही कहना है कि शरीर पर दया करें, जिससे दया के पात्र बनें। आराम बड़ी चीज है, मुँह ढँक के सोइए, आराम में भी राम  है....!