Jun 4, 2011

Adult Erotic Story - पेल दे पर बेल दे


पेल दे पर बेल दे

मैं श्रेया आहूजा, आपकी कमसिन लेखिका

आपको पिछले सप्ताह मेरे साथ बीते हुए उन लम्हों के बारे लिखे दे रही हूँ जिससे आप भी सुनकर कहेंगे- पेल दे पर बेल दे !

मैं और मेरा बॉय फ्रेंड विक्की रात दस बजे पार्टी के बाद घर लौट रहे थे ! हम दोनों ज़रा सा शराब पिए हुए थे ... दोनों में सुरूर था .. आज रात सेक्स का प्रोग्राम था फ्लैट में !

मैं ड्राईवर सीट पर काले रंग की मिनी स्कर्ट पहने गाड़ी चला रही थी और वो मेरी गोरी गोरी जांघों को सहला रहा था। उसकी ऊँगली मेरी पैंटी के अन्दर घुस चुकी थी...

रात भर चुदवाने का मन था.. मन तो था पर यह विक्की एक बार चोद कर सो जाता है और मैं तड़पती रहती हूँ रात भर ! उसकी ऊँगली जैसे मेरी चूत पर घुसी, मैं मदहोश हो गई ... हाईवे था ... मेरी आँखें बंद हुई और सामने एक साइकिल वाला मेरी होंडा सिटी के सामने आ गया ... ब्रेक मारी पर फ़िर भी उससे जा टकराई...

वो लहू-लुहान हो गया ... पुलिस ने गाड़ी रोक ली ... साइकिल वाले को चोट आई, हमने मुआवजा भी दिया पर इंस्पेक्टर हमें थाने में ले आया।

बिल्कुल सुनसान सड़क पर थाना था... चार जवान थे और इंस्पेक्टर मध्यम आयु का था।

इंस्पेक्टर : सालो, दारू पीकर चलाते हो ... इतना डंडा करूँगा कि ...

विक्की : इंस्पेक्टर, अपनी कीमत बोल !

इंस्पेक्टर : अमीर बाप की बिगड़ी औलाद लगता है तू ! ...बांध दो हरामी को ...

विक्की को पेड़ से बांध दिया गया, उसके सारे कपड़े उतार कर उसे बिल्कुल नंगा कर दिया गया।

विक्की : बास्टर्ड ! आई विल रिपोर्ट इट टू द कोर्ट ...

एक हवालदार ने अपने डंडे पर लाल मिर्च लगा कर विक्की की गांड में घुसा दिया।

विक्की चीखें मार रहा था...

मैंने इंस्पेक्टर के सामने हाथ जोड़ दिए : हमें जाने दीजिए सर !

इंस्पेक्टर : इस पटोले को अन्दर ले जा !

विक्की : छोड़ दे मेरी श्रेया को ... हरामी ! दल्ले !

मुझे वो चारों अन्दर ले गए। एक बाहर आकर पहरा देने लगा ...

तेरी माँ की आँख ! चार लण्डों से चुदना है मुझे ... शायद पूरी रात ..शायद एक साथ !

इंस्पेक्टर अपनी पैंट उतारने लगा ... एक जवान ने मेरी टॉप उतारी ... दूसरे ने स्कर्ट !

अब सिर्फ ब्रा-पैंटी रह गई थी ..

इंस्पेक्टर : सुन लड़की ! बेल चाहिये तो चुदवाना पड़ेगा, वरना लाकअप में रखूँगा ... फिर जब तक बेल न हो जाये तब तक चुदना पड़ेगा ... कभी एस पी साहब से तो कभी कैदियों से भी !

हवलदार : कभी-कभी तो महीनों गुजर जाते है जेल से बेल मिलने पर ... इसलिये कहता हूँ नो पेल नो बेल ...

इंस्पेक्टर : वाह शामू पूरी अंग्रेजी ?... आज अंग्रेजी चढ़ाई है क्या?

हवालदार: अरे सर जी ! आज चढ़ाना नहीं, आज तो अंग्रेजी मेम पर चढ़ना है ... हा हा हा

इंस्पेक्टर : सालो, सब बाहर देखो ... अभी मेरी बारी है ... आ जा ! डर मत ! तेरे को तो आदत होगी ...

यह कहकर इंस्पेक्टर मेरी बुर को सहलाने लगा ... मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, मदहोश होने लगी थी मैं ... टांगे मैंने सिकोड़ ली, अपने हाथों से मम्मे छुपाने लगी।

उसने अपनी बांहों में मुझे लिया टांगे फैलाई और घस्से मारना शुरू कर दिया ... मेरी गोरी गोरी जांघों को वो पीट पीट कर चोद रहा था ... ही स्मूच्ड मी ! ओह गाड !

वो मेरी पंखुड़ी जैसे होंठ चूसता गया ... मेरे गोल-गोल चूतड़ों की मालिश कर रहा था ... मम्मों को दबा रहा था ... बिना कंडोम सारा वीर्य मेरी चूत में घुस गया ...

वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहनने लगा ... मैं बिल्कुल नंगी बेंच पर पड़ी थी ... यह कोई बलात्कार तो था नहीं, मुझे मज़ा भी आया और दर्द भी हुआ...

इंस्पेक्टर : सालो, बड़ी कमाल का माल है, आराम से करना ... कमसिन है और थकी हुई है ..

तीनों हवालदार मुझ पर टूट पड़े, पहले मैं ! पहले मैं ! करते हुए ....

तीनों के ये बड़े-बड़े लंड ... शहरी लड़कों के छोटे और पतले होते हैं पर ये तो विशाल आकार के लण्ड थे।

एक ने अपना लंड मेरे मुँह में डाला और एक मेरे मम्मों को चूसने लगा।

तभी एक झटका मेरी चूत पर लगा .... हाय रे ! फट गई मेरी ! ... फाड़ डाला कमीनों ने ...

तीनों ने बारी-बारी चोदा ! मेरी गांड भी नहीं छोड़ा ... पूरे बदन पर वीर्य बह रहा था ... चार घंटे की चुदाई ने मेरा पूरा बदन तोड़ दिया था ...

इंस्पेक्टर : ये ले बेबी अपनी बेल ... अपने यार को लेकर दफा हो जा ! वरना ये मेरे चेले तुझे कल भी रोक लेंगे, बहुत चोदते हैं साले ...

मैंने विक्की को गाड़ी में किसी तरह बैठाया ... और गाड़ी को उल्टा घुमा लिया ..

ओह पैंटी थाने के बेंच पर रह गई ...क्या करूं?? गाड़ी घुमाऊँ क्या ??